बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवादसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- साम्प्रदायिक राजनीति के उत्पत्ति में ब्रिट्रिश एवं मुस्लिम लीग की भूमिका की विवेचना कीजिये।
उत्तर -
साम्प्रदायिकता एक विचारधारा के रूप में होती है, जिसका मूल एक समुदाय की धार्मिक पहचान से जुड़ा होता है। भारत में साम्प्रदायिकता की उत्पत्ति आधुनिक काल की देन है। इसके उदय में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन तंत्र की भूमिका, सीमित संसाधनों की उपस्थिति, दो मुख्य धर्मों हिंदू और मुसलमानों के मध्य प्रतिस्पर्धी चेतना का उदय आदि समन्वित रूप से महत्वपूर्ण रहे हैं।
(1) ब्रिटिश सरकार की भूमिका - भारत में साम्प्रदायिकता की समस्या को केवल हिन्द- मुस्लिम प्रश्न अथवा इसको हिन्दू-मुस्लिम धर्मों का विरोध मानना ही ठीक नहीं। सांप्रदायिक प्रश्न का आधार राजनैतिक अधिक और धार्मिक कम है। इन दो धर्मों के अतिरिक्त इस त्रिभुज में एक तीसरा पक्ष भी है। अंग्रेजों ने हिन्दू और मुस्लिम संप्रदायों के बीच अपने आपको स्थापित कर एक सांप्रदायिक त्रिभुज खड़ा कर दिया था। इस त्रिभुज की सबसे दृढ़ तथा आधार भुजा अंग्रेज थे। वे न ही मुसलमान- के मित्र थे न हिन्दुओं के शत्रु, वे तो ब्रिटिश साम्राज्यवाद के मित्र थे और "बाँटो और राज करो" (Divide and Rule) में विश्वास करते थे। अंग्रेज इतिहासकारों ने हिन्दू-मुस्लिम फूट को बढ़ावा देने तथा ब्रिटिश साम्राज्यवाद की जड़ें सुदृढ़ करने के उद्देश्य से भारतीय इतिहास की व्याख्या सांप्रदायिक दृष्टिकोण से की। जेम्स मिल आदि साम्राज्यवादी लेखकों के द्वारा भारत के इतिहास का विभाजन हिन्दू, मुस्लिम एवं आधुनिक काल के रूप में किया गया। मुस्लिम शासन काल को हिन्दुओं के लिए अस्तित्व के संकट के रूप में परिभाषित किया। इस प्रकार हिन्दुओं और मुसलमानों को एक- दूसरे के लिए खतरा साबित किया। इसी क्रम में सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने हेतु ब्रिटिश शासन द्वारा सांप्रदायिक चेतना के विस्तार वालीं सभी मांगों को मान लिया जाता था। जैसे - 1885-1906 के बीच नरम पंथियों की मांगों को तो बहुत सीमित स्तर पर माना गया लेकिन मुस्लिम नेता, मोहसिन- उल-मुल्क के पत्रों के आधार पर मुस्लिम लीग की सांम्प्रदायिक निर्वाचन की बात तुरंत मान ली। इसी तरह वे किसी भी छोटे सांप्रदायिक दल को संपूर्ण समुदाय का प्रतिनिधि मान लेते थे जैसे मुस्लिमों की संख्या कांग्रेस में अधिक होने के बावजूद उन्होंने मुस्लिम लीग को मुस्लिमों का प्रतिनिधि माना।
(2) मुस्लिम लीग की भूमिका - ब्रिटिश शासन द्वारा मुसलमानों के मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद इकबाल ने 1930 में ही पश्चिमोत्तर भारत के मुस्लिम बहुल प्रांतों को मिलाकर एक पश्चिमोत्तर भारतीय मुस्लिम राज्य की आवश्यकता पर बल दिया। किंतु इस भाषण के संदर्भ में स्पष्ट है कि इस महान उर्दू कवि और देशभक्त का उद्देश्य देश को विभाजित करने का नहीं था। चौधरी रहमत अली ने अपनी पुस्तक 'नाऊ और नेवर' में पाकिस्तान की स्पष्ट माँग को सामने रखा और इसके पीछे तर्क दिया कि संघीय संविधान लागू हो जाने के बाद मुस्लिमों को हिन्दू बहुसंख्यकों की दया पर निर्भर रहना पड़ेगा। 1935 के अधिनियम का मुस्लिम लीग ने इसी पर विरोध किया, क्योंकि वह संघीय शासन की स्थापना की बात करता था जबकि उन्होंने प्रांतीय स्वायत्तता वाले भागों का समर्थन किया।
1937 से पूर्व की परिस्थितियों में मुस्लिम लीग का कांग्रेस के साथ सहयोग दो बातों पर आधारित था। पहला, मुसलमानों को आरक्षण और दूसरा विशेषाधिकार जिसके तहत उनका कहना था कि यदि मुस्लिमों के तीन चौथाई 3/4 सदस्यों द्वारा किसी प्रस्ताव पर वीटो किया जाता है तो अस्वीकृत माना जाएगा। अब इन रणनीतियों को त्याग कर मुस्लिम लीग की मुख्य प्रयास कांग्रेस को हिन्दू संगठन साबित करने का था। इन्होंने अब मुसलमानों को अलग राष्ट्र के रूप में परिभाषित किया तथा हिन्दू-मुस्लिम अंतर्विरोध को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। इसकी अभिव्यक्ति प्रखर रूप से निम्न घटनाओं के रूप में देखी गयी।
23 मार्च, 1940 को लीग के लाहौर अधिवेशन में मुस्लिम बहुसंख्यक प्रांतों को मिलाकर एक विशुद्ध मुस्लिम राष्ट्र के रूप में पाकिस्तान के निर्माण का प्रस्ताव रखा गया।
कैबिनेट मिशन योजना के तहत संपन्न चुनावों के बाद जब कांग्रेस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के गठन की बात आयी तो उसका विरोध और 16 अगस्त को सीधी कार्यवाही की घोषणा। जिसके फलस्वरूप व्यापक सांप्रदायिक दंगे हुये। इसी तरह मुस्लिम लीग ने द्विराष्ट्रवाद के सिद्धान्त पर, मुसलमानों को भारत में एक अलग राष्ट्र बताया और हिन्दुओं से पृथक अलग राष्ट्र की माँग करके सांप्रदायिकता के इस उग्रपंथी दौर को विभाजन की दहलीज पर ला खड़ा किया।
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- प्रश्न- 1857 के विद्रोह के कारणों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 1857 के विद्रोह के स्वरूप पर एक निबन्ध लिखिए। उनके परिणाम क्या रहे?
- प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह का दमन करने में अंग्रेज किस प्रकार सफल हुए, वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- सन् 1857 ई० की क्रान्ति के परिणामों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- 1857 ई० के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1857 के विद्रोह की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- 1857 के विद्रोह में प्रशासनिक और आर्थिक कारण कहाँ तक उत्तरदायी थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 1857 ई० के विद्रोह के राजनीतिक एवं सामाजिक कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1857 के विद्रोह ने राष्ट्रीय एकता को किस प्रकार पुष्ट किया?
- प्रश्न- बंगाल में 1857 की क्रान्ति की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1857 के विद्रोह के लिए लार्ड डलहौजी कहां तक उत्तरदायी था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के राजनीतिक कारण बताइये।
- प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के किन्हीं तीन आर्थिक कारणों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति में तात्याटोपे के योगदान का विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- सन् 1857 ई. के महान विद्रोह में जमींदारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के यथार्थ स्वरूप को संक्षिप्त में बताइये।
- प्रश्न- सन् 1857 ई. के झाँसी के विद्रोह का अंग्रेजों ने किस प्रकार दमन किया, वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- सन् 1857 ई. के विप्लव में नाना साहब की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम स्वाधीनता संग्राम के परिणामों एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- भारत में मध्यम वर्ग के उदय के कारणों पर प्रकाश डालिए। भारतीय राष्ट्रवाद के प्रसार में मध्यम वर्ग की क्या भूमिका रही?
- प्रश्न- भारत में कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों व इसके कार्यों पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदय की परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कांग्रेस की स्थापना के उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के प्रारम्भिक वर्षों में कांग्रेस की नीतियाँ क्या थी? सविस्तार उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
- प्रश्न- भारत में मध्यमवर्गीय चेतना के अग्रदूतों में किन महापुरुषों को माना जाता है? इनका भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन व राष्ट्रवाद में क्या योगदान रहा?
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- प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- जनजातियों में ब्रिटिश शासन के प्रति असन्तोष का सर्वप्रमुख कारण क्या था?
- प्रश्न- महात्मा गाँधी के प्रमुख विचारों पर प्रकाश डालते हुए उनके भारतीय राजनीति में पदार्पण को 'चम्पारण सत्याग्रह' के विशेष सन्दर्भ में उल्लिखित कीजिए।
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- प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- 'बारडोली सत्याग्रह' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गाँधी-इरविन समझौता (1931 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण की सफलताओं एवं असफलताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा पूर्ण स्वराज्य के लिए किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
- प्रश्न- उग्रवादी तथा उदारवादी विचारधारा में अंतर बताइए।
- प्रश्न- बाल -गंगाधर तिलक के स्वराज और राज्य संबंधी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रारम्भ में कांग्रेस के क्या उद्देश्य थे? इसकी प्रारम्भिक नीति को उदारवादी नीति क्यों कहा जाता है? इसका परित्याग करके उग्र राष्ट्रवाद की नीति क्यों अपनायी गयी?
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- प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कांग्रेस के सूरत विभाजन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अखिल भारतीय काँग्रेस (1907 ई.) में 'सूरत की फूट' के कारणों एवं परिस्थितियों का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- कांग्रेस में 'सूरत फूट' की घटना पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कांग्रेस की स्थापना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- स्वराज्य पार्टी की स्थापना किन कारणों से हुई?
- प्रश्न- स्वराज्य पार्टी के पतन के प्रमुख कारणों को बताइए।
- प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- मुस्लिम लीग की स्थापना एवं नीतियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मुस्लिम लीग साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए कहाँ तक उत्तरदायी थी? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिक राजनीति के उत्पत्ति में ब्रिट्रिश एवं मुस्लिम लीग की भूमिका की विवेचना कीजिये।
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- प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना ने किस प्रकार भारत विभाजन की पृष्ठभूमि तैयार की?
- प्रश्न- मुस्लिम लीग के उद्देश्य बताइये। इसका भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर क्या प्रभाव पड़ा?
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- प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या कारण थे?
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- प्रश्न- 'रॉलेक्ट एक्ट' पर संक्षित टिपणी कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय जागृति के क्या कारण थे?
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- प्रश्न- अमेरिका के प्रथम विश्व युद्ध में शामिल होने के कारणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के बाद की गई किसी एक शान्ति सन्धि का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का पराजित होने वाले देशों पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- 1919 का रौलट अधिनियम क्या था?
- प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के सिद्धान्त, कार्यक्रमों का संक्षित वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- श्रीमती ऐनी बेसेन्ट के कार्यों का मूल्यांकन व महत्व समझाइये |
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